History of Raksha Bandhan in Hindi (Significance and Importance)

Mr. Parihar
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रक्षा बंधन का इतिहास, रक्षा बंधन क्यों मनाया जाता है, रक्षा बंधन कब से और क्यों मनाया जाता है, Rakshabandhan story in hindi. 
हिंदू धर्म में रक्षा बंधन (Raksha Bandhan) पर्व का विशेष महत्व है. रक्षा बंधन श्रावण मास की पूर्णिमा को यानी कि हिंदू चंद्र कैलेंडर महीने के आखरी दिन मनाया जाता है जो आमतौर पर अगस्त में पड़ता है. भारत और नेपाल जैसे देशों में मनाया जाने वाला यह त्योहार भाई बहन के पवित्र रिश्तें और अटूट प्यार का प्रतीक है. आज के दौर में जब रिश्ते धुधंलाते जा रहे हैं, ऐसे में भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को मजबूत प्रेम पूर्ण आधार देता है रक्षाबंधन का त्योहार. रक्षा बंधन के दिन बहन अपने भाई के कलाई पर राखी बांधती है और भाई जीवन भर उसकी रक्षा करने का वचन देता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि रक्षा बंधन की शुरुआत कैसे हुई? रक्षा बंधन क्यों मनाया जाता है? इसका क्या महत्व है? अगर नहीं तो आइए जानते हैं रक्षा बंधन मनाने के पीछे का कारण और इस त्योहार जुड़े कई अहम बातें…

Rakshabandhan



रक्षाबंधन का अर्थ
रक्षाबंधन ‘रक्षा‘ तथा ‘बंधन‘ दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है और संस्कृत भाषा के अनुसार इसका अर्थ होता है “रक्षा का बंधन या गाँठ ” यानि ऐसा बंधन जो रक्षा/सहायता प्रदान करे।

राखी को रक्षासूत्र या रक्षा का धागा इसलिए कहा जाता है कि बहनें भाई को राखी बांधकर अपनी रक्षा का वादा करवाती है और भाई उस फ़र्ज़ को निभाने की जिम्मेदारी लेते है।

रक्षा बंधन क्यों मनाया जाता है – Raksha Bandhan History in Hindi
यह तो लगभग सभी जानते हैं कि रक्षाबंधन क्या है लेकिन अधिकांश लोगों को यह जानकारी नहीं है कि रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है, रक्षाबंधन का इतिहास क्या है या रक्षाबंधन को मनाने के पीछे क्या कारण है!

भाई-बहन के अटूट प्रेम को समर्पित इस त्यौहार को मनाने की परंपरा को लेकर कई तरह की कथाएं और मिथक प्रचलित है।

यहां हम रक्षाबंधन क्यों मनाते हैं को लेकर जुड़ी महत्वपूर्ण घटनाओं का जिक्र कर रहे हैं हैं। यह कुछ ऐतिहासिक और पौराणिक कहानियां/घटनाएँ जिन्हें भाई बहन के इस पवित्र पर्व रक्षाबंधन मनाये जाने का आधार माना जाता है। चलिए इनके बारे में यानि जानते है रक्षाबंधन की कहानी…

1. रानी कर्णावती और शासक हुमायूँ
यह एक ऐतिहासिक घटना है जिसका संबंध रक्षाबंधन के इतिहास से बताया जाता है।

16वीं वी शताब्दी के मध्य की शताब्दी के मध्य की इस घटना के अनुसार चित्तौड़गढ़ की रानी कर्णावती थी जो विधवा थी। उनके साम्राज्य पर गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह ने आक्रमण कर दिया था।

जब अकेली रानी को लगने लगा कि बहादुर शाह से चित्तौड़ से चित्तौड़ को बचाया नहीं जा सकता है तो उन्होंने सम्राट हुमायूं को एक राखी भेजी और बहन होने के नाते युद्ध में सहायता मांगी।

हुमायूं ने रानी कर्णावती के इस आमंत्रण को स्वीकार किया और भाई का फर्ज निभाते हुए अपनी सेना भेजकर युद्ध में मदद की।

2. सिकंदर और राजा पुरू की कहानी
इस घटना के अनुसार जब यूनानी शासक सिकंदर विश्व को फतह करने के उद्देश्य से भारत पर हमला करता है तो उसका सामना भारतीय राजा पोरू (पोरस) से होता है।

राजा पोरू बहुत वीर और बलशाली राजा थे और उन्होंने सिकंदर को युद्ध में घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया।

जब सिकंदर की पत्नी को रक्षाबंधन के बारे में पता चला तो उन्होंने सम्राट पूर्व के लिए राखी के रूप में रक्षा सूत्र भेजा और विनती की कि वो युद्ध में सिकंदर को जान से नहीं मारेंगे।

सम्राट पूर्व ने शत्रु की पत्नी द्वारा भेजी गई राखी का सम्मान किया और सिकंदर को ना मारने का वचन दिया।

3. देवी लक्ष्मी और राजा बलि की कहानी
राजा बली भगवान विष्णु के बहुत बड़े भक्त थे। बली की असीम भक्ति के कारण प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने अपने स्थान वैकुण्ठ को छोड़कर बाली के राज्य को सुरक्षा देना शुरू कर दिया।

देवी लक्ष्मी इस बात से दुखी हो गई और उसने भगवान विष्णु को बाली के पास से वापस अपने स्थान वैकुण्ठ पर लाने के लिए एक ब्राह्मण महिला का रूप धारण किया और राजा बलि के पास रहने लगी।

एक दिन श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन लक्ष्मी ने राखी बांधी और उपहारस्वरूप उनसे कुछ मांगा। बलि ने इस बात को माना और उन्हें कुछ भी मांगने का अवसर दिया।

इस पर देवी लक्ष्मी ने अपने असली रूप में आकर बलि से भगवान विष्णु को वापस वैकुंठ लोक भेजने को कहा। अपने किए वादे के अनुसार राजा बलि ने भगवान विष्णु को वैकुंठ जाने दिया।

कहा जाता है कि उसी दिन से श्रावण मास की पूर्णिमा को रक्षाबंधन मनाया जाता है।

4. इंद्रदेव और भगवान विष्णु की कहानी
भविष्य पुराण के अनुसार देवताओं और राक्षसों के बीच हुए भयंकर युद्ध में भगवान इंद्र अपना राज्य अमरावती हार गए।

इस स्थिति को देखकर इंद्र की पत्नी सची भगवान विष्णु के पास मदद के लिए गई। विष्णु ने एक सूती धागे को दिया और सची से कहा कि इसे अपने पति इंद्र की कलाई पर बांध देना।

अंततः इंद्र ने इस धागे को बांधने के बाद राक्षसों को युद्ध में हराया और अपने राज्य को पुनः प्राप्त किया।

5. कृष्ण और द्रौपदी की कहानी
जब भगवान कृष्ण ने दोस्त राजा शिशुपाल को मारा तो उन्हें अपने अंगूठे में चोट लगी थी। इसे देखकर द्रोपदी ने चोट की जगह अपने वस्त्र का टुकड़ा बांधा था। 

उस दिन से कृष्ण ने द्रौपदी को अपनी बहन बना लिया और जरूरत पड़ने पर सहायता करने का वादा किया।

अनेक वर्षों बाद जब पांडव द्रोपदी को कौरवों से जुए में हार गए थे तो भगवान कृष्ण ने आकर द्रोपदी की रक्षा की और लाज बचाई थी।

रक्षाबंधन कैसे मनाया जाता है
रक्षाबंधन भाई और बहन के रिश्ते का प्रसिद्ध त्योहार है और जैसा कि आप जानते हैं इसे सावन महीने की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।

रक्षाबंधन में राखी का सबसे अधिक महत्व होता है। आजकल बाजार में कई प्रकार की राखियां आती है जो विभिन्न प्रकार की जैसे रंगीन कलावे, रेशमी धागे या कई महंगी वस्तुओं की बनी होती है।

रक्षाबंधन के दिनों में बाजार में कई सारे उपहार बिकते हैं, लोग नए-नए कपड़े खरीदने हैं। बहनें भाइयों के लिए राखी खरीदती है तथा भाई बहनों के लिए उपहार खरीदते हैं।

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