प्रत्येक कहावत के पीछे कोई-न-कोई घटना या कथा मौजूद है, लेकिन बहुत कम लोगों को इसकी जानकारी रहती है। इस प्रकार की जानकारी हो जाने पर कहावतों के उपयोग में सरलता और सहजता आएगी, साथ ही वह सटीक भी लगेगी।
कहावत या लोकोक्ति का प्रचलन कब और कैसे हुआ, इसके बारे में निश्चत रूप में कुछ नहीं कहा जा सकता; किंतु पढ़े-लिखे महाज्ञानी से लेकर अनपढ़ तक, शहर से गाँव तक और हर जाति, वर्ग एवं समुदाय में कहावतों का प्रचलन रहा है। निश्चित यह है कि भाषा के साथ ही सटीक अभिव्यक्ति के रूप में इसका प्रचलन बना रहेगा। कहावत और मुहावरे के बीच अंतर को लेकर लोगों में भ्रांतियाँ हैं। इस अंतर को ठीक से न समझने की वजह से एक को दूसरे वर्ग का मान लिये जाने की भूल भी हुआ करती है। हालाँकि कहावतों और मुहावरों में अधिक अंतर नहीं है, फिर भी दोनों में मूलभूत अंतर है।
कहावतों का संबंध लोकजीवन में घटी किसी घटना से हुआ करता है, जिसे कालांतर में वैसे ही प्रसंग आने पर उदाहरण के रूप में कहा जाता है। कहावत अपने आप में एक पूर्ण उक्ति है, जबकि मुहावरें का उपयोग किसी वाक्य को साथ लेकर ही किया जा सकता है। लेकिन कालक्रम से कई कहावतें मुहावरों के रूप में तथा कई मुहावरे कहावतों के रूप में प्रचलित हो गए हैं।
मुहावरे और लोकोक्तियाँ से बनी कहानी
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