एनी बेसेंट का जीवन परिचय | Annie Besant Biography in Hindi
एनी बेसेंट 1 अक्टूबर, 1847 से 20 सितम्बर, 1933 तक |
उपलब्धियां
थियोसोफिकल सोसायटी ऑफ़ इंडिया की अध्यक्ष, 1916 में होम रूल लीग की स्थापना, भारत में स्वशासन की मांग, कांग्रेस की प्रथम महिला अध्यक्ष
एनी बेसेंट एक प्रसिद्ध थिओसोफिस्ट, समाज सुधारक, राजनैतिक मार्गदर्शक, महिला कार्यकर्ता, लेखिका और प्रवक्ता थीं। वह आयरिश मूल की थीं और उन्होंने भारत को अपना दूसरा घर बना लिया था। वह भारतियों के अधिकारों के लिए लड़ीं और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की प्रथम महिला अध्यक्ष बनीं।
एनी बेसेंट का जन्म 1 अक्टूबर 1847 में लंदन के एक मध्यम वर्गीय परिवार में एनी वुड के रूप में हुआ था । वह आयरिश मूल की थीं। जब वह केवल पांच साल की थीं तभी उनके पिता का देहांत हो गया था। परिवार के पालन-पोषण के लिए एनी की मां ने हैरो में लड़कों के लिए एक छात्रावास खोला। अल्पायु में ही उन्होंने पूरे यूरोप की यात्रा की जिससे उनके दृष्टिकोण में वृद्धि हुई।
एनी बेसेंट का विवाह 1867 में फ्रैंक बेसेंट नामक एक पादरी से हुआ था। परन्तु उनका वैवाहिक जीवन ज्यादा समय तक नहीं चल सका और वे 1873 में क़ानूनी तौर पे अलग हो गए। एनी को विवाह के पश्चात दो संतानो की प्राप्ति हुई। अपने पति से अलग होने के पश्चात एनी ने न केवल लंबे समय से चली आ रही धार्मिक मान्यताओं बल्कि पारंपरिक सोचपर भी सवाल उठाने शुरू किये। उन्होंने ने चर्च पर हमला करते हुए उसके काम करने के तरीको और लोगों की जिंदगियों को बस में करने के बारे में लिखना शुरू किया। उन्होंने विशेष रूप से धर्म के नाम पर अंधविश्वास फ़ैलाने के लिए इंग्लैंड के एक चर्च की प्रतिष्ठा पर तीखे हमले किये ।
एनी बेसेंट ने महिलाओं के अधिकारों, धर्मनिरपेक्षता, गर्भ निरोध, फेबियन समाजवाद और मजदूरों के हक़ के लिए लड़ाई लड़ी।वह भगवान से जुड़ने के थिओसोफी के तरीके से काफी प्रभावित हुईं। थियोसोफिकल सोसाइटी जाति, रंग, वर्ग में भेदभाव के खिलाफ थी और सर्वभौमिक भाईचारे की सलाह देती थी। मानवता की ज्यादा से ज्यादा सेवा करना उसका परम उद्देश्य था। भारतीय थियोसोफिकल सोसाइटी के एक सदस्य के मदद से वो वर्ष 1893 में भारत पहुंचीं।
उन्होंने पूरे भारत का भ्रमण किया। जिसके कारण उन्हें भारत और मध्यम वर्गीय भारतियों के बारे में जानकारी प्राप्त हुई जो कि ब्रिटिश शासन और इसकी शिक्षा की व्यवस्था से काफी पीड़ित थे। शिक्षा में उनकी लंबे समय से रूचि के फलस्वरूप ही बनारस के केंद्रीय हिन्दू विद्यापीठ की स्थापना हुई (1898)।
वह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भी शामिल हुईं और वर्ष 1916 में ‘होम रूल लीग’ जिसका उद्देश्य भारतियों द्वारा स्वशासन की मांग था। सन 1917 में वो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष बनीं। इस पद को ग्रहण करने वाली वह प्रथम महिला थीं। उन्होंने "न्यू इंडिया" नामक समाचार पत्र प्रकाशित किया जिसमे उन्होंने ब्रिटिश शासन की आलोचना की और इस विद्रोह के कारण उन्हें जेल जाना पड़ा। गांधी जी के भारतीय राष्ट्रीय मंच पर आने के पश्चात, महात्मा गांधी और एनी बेसेंट के बीच मतभेद पैदा हुए जिस वजह से वह धीरे-धीरे राजनीति से अलग हो गईं।
निधन
20 सितम्बर 1933 को अड्यार (मद्रास) में एनी बेसेंट का देहांत हो गया । उनकी इच्छा के अनुसार उनकी अस्थियों को बनारस में गंगा में प्रवाहित कर दिया गया।