श्री राम की पवित्र चौपाइयों से दूर करें संकट
महाकवि तुलसीदास द्वारा रचित श्रीरामचरितमानस की चौपाइयां मात्र राम का गुणगान ही नहीं करती बल्कि इतनी चमत्कारिक भी हैं कि जीवन के हर संकट को समाप्त करने की दिव्य शक्ति उनमें विद्यमान है।
प्रभु श्री राम के पावन आशीर्वाद हर चौपाई में निहित हैं। पढ़ें श्री रामचरितमानस की शुभ चौपाई और उनके जप से दूर होने वाले संकट।
Ramayan Ki Chaupai |
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1. विपत्ति-नाश के लिए
'राजीव नयन धरें धनु सायक। भगत बिपति भंजन सुखदायक।।'
2. संकट-नाश के लिए
'जौं प्रभु दीन दयालु कहावा। आरति हरन बेद जसु गावा।।
जपहिं नामु जन आरत भारी। मिटहिं कुसंकट होहिं सुखारी।।
दीन दयाल बिरिदु संभारी। हरहु नाथ मम संकट भारी।।'
3. कठिन क्लेश नाश के लिए
'हरन कठिन कलि कलुष कलेसू। महामोह निसि दलन दिनेसू॥'
4. विघ्न शांति के लिए
'सकल विघ्न व्यापहिं नहिं तेही। राम सुकृपाँ बिलोकहिं जेही॥'
5. खेद नाश के लिए
'जब तें राम ब्याहि घर आए। नित नव मंगल मोद बधाए॥'
6. चिंता की समाप्ति के लिए
'जय रघुवंश बनज बन भानू। गहन दनुज कुल दहन कृशानू॥'
7. रोग तथा उपद्रवों की शांति के लिए
'दैहिक दैविक भौतिक तापा। राम राज काहूहिं नहि ब्यापा॥'
8. मस्तिष्क की पीड़ा दूर करने के लिये
'हनुमान अंगद रन गाजे। हांक सुनत रजनीचर भाजे।।'
9. विष नाश के लिए
'नाम प्रभाउ जान सिव नीको। कालकूट फलु दीन्ह अमी को।।'
10. अकाल मृत्यु से बचने के लिए
'नाम पाहरु दिवस निसि ध्यान तुम्हार कपाट।
लोचन निज पद जंत्रित जाहिं प्रान केहि बाट।।'
रामायण की इन चौपाईयों सें होगी आपकी मनोकामनाएं पूर्ण
रामचरित मानस में कुछ चौपाइयां ऐसी हैं जिनका विपत्तियों तथा संकट से बचाव और ऋद्धि-सिद्ध के लिए मंत्रोच्चारण के साथ पाठ किया जाता है। इन चौपाइयों को मंत्र की तरह विधि विधान पूर्वक एक सौ आठ बार हवन की सामग्री से सिद्ध किया जाता है। हवन चंदन के बुरादे, जौ, चावल, शुद्ध केसर, शुद्ध घी, तिल, शक्कर, अगर, तगर, कपूर नागर मोथा, पंचमेवा आदि के साथ निष्ठापूर्वक मंत्रोच्चार के साथ करें। इन चौपाई मंत्र को अधिक समझनें के लिए तुलसी दर्शन कवितावली, दोहावली, विनय पत्रिका, बरवै रामायण आदि ग्रंथों का अध्ययन जरुर करें।
1. ऋद्धि सिद्ध की प्राप्ति के लिए
इसके लिए रामायण के इस मंत्र का जाप करें जो इस प्रकार है-
साधक नाम जपहिं लय लाएं।
होहि सिद्धि अनिमादिक पाएं।।
2. परीक्षा में सफलता के लिए
जेहि पर कृपा करहिं जनुजानी।
कवि उर अजिर नचावहिं बानी।।
मोरि सुधारहिं सो सब भांती।
जासु कृपा नहिं कृपा अघाती।।
3. लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए
जिमि सरिता सागर मंहु जाही।
जद्यपि ताहि कामना नाहीं।।
तिमि सुख संपत्ति बिनहि बोलाएं।
धर्मशील पहिं जहि सुभाएं।।
4. धन सम्पत्ति की प्राप्ति हेतु
जे सकाम नर सुनहिं जे गावहिं।
सुख सम्पत्ति नानाविधि पावहिं
5. प्रेम वृद्धि के लिए
सब नर करहिं परस्पर प्रीती।
चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीती।।
6. सुख प्राप्ति के लिए
सुनहि विमुक्त बिरत अरू विबई।
लहहि भगति गति संपति नई।।
7. शास्त्रार्थ में विजय पाने के लिए
तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा।
आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।।
8. विद्या प्राप्ति के लिए
गुरु ग्रह गए पढ़न रघुराई।
अलपकाल विद्या सब आई।।
9. ज्ञान प्राप्ति के लिए
छिति जल पावक गगन समीरा।
पंचरचित अति अधम शरीरा।।
10. विपत्ति में सफलता के लिए
राजिव नयन धरैधनु सायक।
भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।।
11. दरिद्रता दूर करने हेतु
अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के ।
कामद धन दारिद्र दवारिके।।
12. पुत्र प्राप्ति के लिए
प्रेम मगन कौशल्या निसिदिन जात न जान।
सुत सनेह बस माता बाल चरित कर गान।।
13. अकाल मृत्यु से बचनें के लिए
नाम पाहरू दिवस निसि ध्यान तुम्हार कपाट।
लोचन निज पद जंत्रित प्रान केहि बात।।
14. रोगों से बचनें के लिए
दैहिक दैविक भौतिक तापा।
राम काज नहिं काहुहिं व्यापा।।
15. जहर को खत्म करनें के लिए
नाम प्रभाऊ जान सिव नीको।
कालकूट फलु दीन्ह अमी को।।
16. खोई हुई वस्तु पानें के लिए
गई बहारे गरीब नेवाजू।
सरल सबल साहिब रघुराजू।।
17. शत्रु को मित्र बनाने के लिए
गरल सुधा रिपु करहि मिताई।
गोपद सिंधु अनल सितलाई।।
वयरू न कर काहू सन कोई।
रामप्रताप विषमता खोई।।
18. भूत-प्रेत के के डर को भगानें के लिए
प्रनवउ पवन कुमार खल बन पावक ग्यान धुन।
जासु हृदय आगार बसहि राम सर चाप घर।।
19. सफल यात्रा के लिए
प्रबिसि नगर कीजै सब काजा।
हृदय राखि कौशलपुर राजा।।
20. ईश्वर से क्षमा मागनें के लिए
अनुचित बहुत कहेउं अग्याता।
छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।।
21. वर्षा की कामना की पूर्ति हेतु
सोइ जल अनल अनिल संघाता।
होइ जलद जग जीवनदाता।।