आरती कुंज बिहारी की गिरधर कृष्ण मुरारी की | कृष्ण भगवान जी की आरती

Mr. Parihar
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आरती कुंजबिहारी की संपूर्ण आरती, कृष्ण भगवान की आरती लिखित में, 
जन्माष्टमी के दिन भगवान कृष्ण को प्रसन्न करने का सबसे सरल उपाय है भगवान कृष्ण का पूजन कर आरती गा कर उनकी स्तुति करना। इस दिन भगवान कृष्ण को माखन-मिश्री और पंचामृत का भोग लगाना चाहिए और कुजं बिहारी की आरती करना चाहिए। जन्माष्टमी के पावन पर्व पर यहां पढ़ें भगवान कृष्ण की आरती

 आरती कुंजबिहारी की


आरती कुंज बिहारी की लिखी हुई

 आरती कुंजबिहारी की,

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

आरती कुंजबिहारी की,

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥


गले में बैजंती माला,

बजावै मुरली मधुर बाला ।

श्रवण में कुण्डल झलकाला,

नंद के आनंद नंदलाला ।

गगन सम अंग कांति काली,

राधिका चमक रही आली ।

लतन में ठाढ़े बनमाली

भ्रमर सी अलक,

कस्तूरी तिलक,

चंद्र सी झलक,

ललित छवि श्यामा प्यारी की,

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

आरती कुंजबिहारी की



कनकमय मोर मुकुट बिलसै,

देवता दरसन को तरसैं ।

गगन सों सुमन रासि बरसै ।

बजे मुरचंग,

मधुर मिरदंग,

ग्वालिन संग,

अतुल रति गोप कुमारी की,

श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥

आरती कुंजबिहारी की



जहां ते प्रकट भई गंगा,

सकल मन हारिणि श्री गंगा ।

स्मरन ते होत मोह भंगा

बसी शिव सीस,

जटा के बीच,

हरै अघ कीच,

चरन छवि श्रीबनवारी की,

श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥

आरती कुंजबिहारी की


चमकती उज्ज्वल तट रेनू 

बज रही बृंदावन बेनू।

चहुं दिशि गोपी ग्वालधेनु, 

 हंसत मृदुमन्द चांदनी चंद।

कटत भवफन्द , 

टेर सुनु दीन भिखारी की। 

आरती कुंजबिहारी की


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