Rajkumar Or Pari Ki Prem Kahani राजकुमार और परी की प्रेम कहानी नेक परी ओर राजकुमार बहुत समय पहले बदलापुर राज्य में एक राजा राज करते थे नाम था भीमसेन उनका राज्य काफ़ी दूर-दूर तक फैला हुआ था राजा दयालु थे और अपनी प्रजा से काफी प्यार करते थे प्रजा भी राजा को बहुत चाहती थी
राजा का एक बेटी था जो कभी चतुर और होनहार राजकुमार था वो राजा के साथ हर कम में भी पूरा सहयोग देता था,
कोई भी समस्या उनके सामने टिक नहीं सकती थी
राजकुमार को शिकार करने का बहुत शौक था एक दिन राजकुमार के मन मे आया बहुत दिन हो गए जंगल मे जाकर शिकार नहीं खेला क्यो न आज जंगल में शिकार में जाया जाए राजकुमार ने अपनी दिल की बात राजा को बताई तो
राजा ने भी ख़ुशी से आज्ञा दे दी और उसने राजकुमार को हिदायत दी कि राजकुमार शिकार करते करते रात हो सकती है आधी जंगल में तुम्हें रुकना पड़े तो वहाँ कहीं भी रात गुज़ारोगे वहां के हालचाल किसी के द्वारा मेरे पास जरूर भेजते रहना ताकि मैं तुम्हारे तरफ़ से बेफ़िक्र रहूँ
Princess |
इतना बोलकर राजकुमार ने हामी भर दी और राजकुमार अपने सेवादारो को साथ लेकर शिकार करने जंगल की तरफ़ चल दिये उसके साथ काफ़ी आदमियों के काफिला था काफ़िला अपना पड़ाव जंगल मे कहीं भी डाल लेता था
Rajkumar Or Pari Ki Prem Kahani
राजकुमार शिकार खेलतें हुवे धनोरविद्या में पूर्णरूप से विद्वान हो गए काफ़िला शिकार खेलतें हुवे और मनोरंजन करते हुवे आगे बढ़ते गए फ़िर अचानक राजकुमार शिकार करते करते जंगल मे कही दूर निकल गया और रास्ता भटक गया
काफ़िला राजकुमार से दूर हो गया सेवक राजकुमार को ढूंढते रहे और राजकुमार को सेवकों का कोई पता नहीं चला राजकुमार ने हिम्मत नहीं हारी वो काफ़िलों को यहाँ-वहाँ देखता रहा चलते चलते उसको प्यास लग गई नज़दीक में उसको कही पानी नहीं मिला इतने बड़े जंगल मे वो अकेला पड़ गया
एक जगह कुछ देर रुका और अपने देवता को याद करके फ़िर आगे बढ़ गया जंगल मे साईं साईं की आवाज़ उसके कानों में गूँजने लगी और रात घिरने लगी आकाश में तारे टिमटिमाने लगे थोड़ी दूर और चलने के बाद वे खुले स्थान पे आ गए
रात आधी बीत चुकी थी राजकुमार प्यासे थे राजकुमार थक चुके थे और वे लड़खड़ा रहे थे अचानक राजकुमार के कानों में मधुर स्वर सुनाई दिए सामने देखा तो तालाब के किनारे पर एक सुंदर युवती सफ़ेद कपड़े पहनें हुवे मछलियों से बाते कर रही थी
मछलियां भी पानी मे उछल-उछल कर बाते कर रही थी राजकुमार ये सब देखकर हैरान हुवा और आश्चर्य में पड़ गया और सोंचने लगा कि कितनी नजदीकियां हैं इस युवती और मछलियों में इतना कहकर वो हिम्मत करके आगे बढ़ा उसके आहत सुनकर लड़की का ध्यान राजकुमार की तरफ गया
पास पहुँच कर राजकुमार ने लडक़ी से परिचय पूछा लडक़ी बोली आप खड़े क्यों है निचे बैठ जाइए राजकुमार लड़की के नज़दीक बैठ गया।
फिर राजकुमार ने कहा- मैं बदलापुर के राजा का बेटा राजकुमार हूँ
मैं अभी मुशीबत का मारा हूँ आप अपने बारे में परिचय दीजिए लड़की बोली- मैं भी इन मछलियों की तरह ही एक मछली थी परियों की रानी हर पूर्णिमा की रात को इस तालाब में नहाने को आती थीं और सारी रात नाचती और गाना गाती थी
हम मछलियों को भी उनका नाचना गाना अच्छा लगता
हम भी उनके साथ नाचने लगते एक बार परियों की रानी ने
मुझे नाचते हुवे देख लिया और मेरा नाच देखकर बहुत प्रसन्न हुई और मेरी तारीफ को
उन्होंने मुझे परि लोक चलने को कहा राजकुमार
लड़की की बातों को घ्यान से सुन रहा था फिर लडक़ी बोली
मैं परिलोक को जाने के लिए राजी हो गई परी रानी ने
सर झुकाकर अपने देवता से मुझे परी बनाने की प्राथना की
उनके देवता ने उनकी प्राथना स्वीकार कर ली और मुझे परी बना दिया
उसी दिन से मैं उन सब के साथ परिलोक में रहती हूँ
जब कभी जी करता है तो मैं अपनी इन सहेलियों को मिलने
यहाँ आ जाया करती हूँ उसके बात सुनकर राजकुमार ने
अपने बारे में बताया और अपने समस्या सामने रखी
और बताया कि मैं जंगल मे शिकार खेलने आया था
किसी कारण मेरा काफ़िला मुझसे बिछड़ गया
मैं सुबह से भूखा प्यासा घूम रहा हूँ राजकुमार की बात सुनकर
परी रानी ने अपनी जादुई ताक़त से राजकुमार के लिए खाना हाज़िर किया
राजकुमार ने खाना खाया और पानी पिया – Rajkumar Or Pari Ki Prem Kahani
अपनी भूख प्यास मिटाकर लड़की और राजकुमार बैठकर
देर रात तक बाते करते रहे सुबह होने से पहले ही
लड़की को परिलोक पहुँचना था अब परी जाने को तैयार हुई तो
राजकुमार ने भी साथ चलने की इच्छा जाहिर की
परी ने कहा कि ऐसा करना मेरे लिए मुमकिन नही हैं
इस बात के लिए समा चाहती हूँ आप मेरे इन सहेलियों से
मिलने आ सकते हैं आपके यहाँ आने पर ये आपका स्वागत करेंगी
अगर आप मुझसे मिलने चाहे तो इसी तरफ आधे रात को यहाँ आ जाना
मैं आपको जरूर मिलूँगी अब मुझे देरी हो रही है आप भी अपने राज्य में चले जाओ
परी ने राजकुमार से बताया कि तुम्हारा काफ़िला
उत्तर की ओर तुम्हें ठूँठते हुवे आ रहा है ना चाहते हुवे भी
परी परिलोक की तरफ उड़ चली और राजकुमार घोड़े पे बैठकर
परी के बताए हुवे रास्ते की तरफ अपने काफ़िले की खोज में चल पड़ा
कुछ दूरी पर उसके काफ़िले के लोग मिल गए
काफ़िले के साथ राजकुमार अपने राज्य में लौट आया
राजकुमार को इस बात का दुःख था कि वो परी के साथ नहीं जा सका
पर उसे इस बात की ख़ुशी थी कि उसकी दोस्ती परी के साथ हो गई है
राजकुमार को जब भी दिल करता वो परी को मिलने
आधी रात में तालाब के किनारे आ जाता दोनों घंटो बैठकर बाते करते
इसी तरह उनका समय हँसी ख़ुशी से कटता रहा और दोनों को अपनी दोस्ती पर नाज था।