पुष्प की अभिलाषा।। Pushp Ki Abhilasha Poem In Hindi

Mr. Parihar
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Makhanlal Chaturvedi Ki Kavitayein, Pushp Ki Abhilasha
पुष्प की अभिलाषा
चाह नहीं मैं सुरबाला के,
गहनों में गूँथा जाऊँ,
चाह नहीं प्रेमी-माला में,
बिंध प्यारी को ललचाऊँ,
चाह नहीं, सम्राटों के शव,
पर, हे हरि, डाला जाऊँ
चाह नहीं, देवों के शिर पर,
चढ़ूँ भाग्य पर इठलाऊँ!
मुझे तोड़ लेना वनमाली!
उस पथ पर देना तुम फेंक,
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने
जिस पथ जाएँ वीर अनेक।
                         -: माखनलाल चतुर्वेदी – Makhanlal Chaturvedi
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